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जीवन के शोर में, उस के तेज़ रफ़्तार सफ़र में कभी-कभी कुछ शांत लम्हों में मैं ख़ुद से ही बात करती हूँ। कभी उन पलों में कुछ टुकड़े बिखर जाते हैं और कभी कुछ निखर जाते हैं।
यह किताब उन्ही बिखरे- निखरे मोतियों की माला है। आज यह आप के हाथ में है, शायद कल आप के दिल को छू कर वहाँ एक छोटा सा कोना माँगेगी। अगर माँगे, तो दे दीजिएगा!
इन भावनाओं को अपने दिल में जगह देने के लिए, थोड़ा प्यार देने के लिए - मेरे दिल से आपको पहले से ही बहुत बहुत धन्यवाद।